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किसलिए यह मुझसे तेरी झूठी लगावट है
ग़ैर की महफ़िल में उफ़! तेरे अंदाज़े-ख़म<ref>उड़ती हुई ज़ुल्फ़ों का अंदाज़</ref>
मुआ<ref>मृत</ref> है उदू<ref>शत्रु</ref> सरापा कैसी सजावट है