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गर है तो क्यों तेरी बातों में बनावट है/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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14:45, 8 अप्रैल 2011
किसलिए यह मुझसे तेरी झूठी लगावट है
ग़ैर की महफ़िल में उफ़! तेरे अंदाज़े-ख़म
<ref>उड़ती हुई ज़ुल्फ़ों का अंदाज़</ref>
मुआ<ref>मृत</ref> है उदू<ref>शत्रु</ref> सरापा कैसी सजावट है
विनय प्रजापति
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