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रेत के समन्दर सी/ रमा द्विवेदी
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12:58, 9 अप्रैल 2011
| रचनाकार=रमा द्विवेदी
}}
<poem>
रेत के समन्दर सी है यह ज़िन्दगी,
तूफ़ां अगर आ जाए बिखर जाए ज़िन्दगी।
जिनका वजूद रेत के तले दबा दिया,
उनको ही चट्टान बनाए यह ज़िन्दगी।
</poem>
Ramadwivedi
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