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'''लेखन वर्ष: 2004२००४/२०११'''
तुम गर हो सीना मुझ को मुझको बना लो धड़कनआतिश बहे नस-नस नसों में मिटे शीत की कम्पन
जिस सूरत पे दिल आ गया उसपे निसार है सब, मेरी यह उम्र, यह जान, यह यौवन
रंग-बिरंगे फूल खिले ख़ुशबू बिखरी हर-सू<ref>सभी दिशाओं में</ref>मन की तितली फिरती फिर रही है गुलशन-गुलशन
प्यार का जादू अब हम समझे क्या होता है
हम-तुम दोनों जैसे पानी और चन्दन
अब्रे-मेहरबाँ <ref>पानी बरसाने वाले बादल</ref> एक फ़साना रहा रहे मुझकोचन्द्रमा चाँद खो गया जिसमें मेरी जिनमें बढ़ा के मेरी लगन
वादावाद:-ए-निबाह <ref>साथ देने के वादे</ref> न किये फिर भी टूटे मुझसे
है नसीब मुझको बिन चाँद यह स्याह गगन
तेरी नज़र ने ज़िबह <ref>क़त्ल</ref> किया बारहा मुझको
रहा ताउम्र मुझ पर तेरा ही पागलपन
‘नज़र’ तेरी मेहर को बैठा है आज तलक
मरासिम <ref>बन्धन</ref> बना के मुझसे जोड़ लो यह मुझसे बन्धन
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