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दूदे-तन्हाई के उस पार क्या है/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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21:19, 9 अप्रैल 2011
‘नज़र’ जो कहता था इश्क़ इक बला है
वो ख़ुद भी आज
इसी
इश्क़
में मुब्तिला<ref>फँसा हुआ, जकड़ा हुआ (embroiled)</ref> है
{{KKMeaning}}
</poem>
विनय प्रजापति
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