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[[Category: ग़ज़ल]]
<Poem>
'''रचनाकाल: २००३/२०११'''
नहीं मिटा सकता तो बढ़ा दे दर्द
क्यों न हो करूँ यार से तज़किराएतज़किर:-ए-दर्द<ref>दर्दकी चर्चा</ref>
चुप हूँ तो जलता है मेरा कलेजा
बोलूँ तो लफ़्ज़ों में टपकता है दर्द
आग जो है सो है दिल में अब तकतलक
कहीं कोई गुलशन न जला दे दर्द
जब भी छुआ है बहुत होता है दर्द
नहीं आसाँ डूब के डूबकर उबरना उसमेंइश्क़ जिसको भी कहता कह देता है दर्द
मौत मिले अगर गर तो तेरे हाथों मिलेरोज़ क्यों झूठे ख़ाब मुझ को दिखाये दिखा दे दर्द
रोज़े-अजल <ref>फ़ैसले के दिन</ref> हो गर अगर तेरा दीदारचाहता हूँ मुझ को मुझे आज मिटाये मिटा दे दर्द
मैं तूफ़ानो-भँवर का मुसाफ़िर हूँ
जाने कितने फ़ितने उठाए <ref>मुसीबतें</ref> उठा दे दर्द
‘नज़र’ को इक एक दफ़ा देख जाओ तुमकि वह हाँ, वो तुमको अपने गिनाये गिना दे दर्द '''रचनाकाल : 2003
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