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रुक्मिनी कृष्ण संवाद / सूरदास
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|रचनाकार=सूरदास
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रुकमिनि बूझति हैं गोपालहिं ।<br>
कहौ बात अपने गोकुल की कितिक प्रीति ब्रजबालहिं ॥<br>
Pratishtha
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