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देखत नंद कान्ह अति सोवत / सूरदास
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|रचनाकार=सूरदास
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देखत नंद कान्ह अति सोवत ।<br>
भूखे गए आजु बन भीतर, यह कहि-कहि मुख जोवत ॥<br>
Pratishtha
KKSahayogi,
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