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"आईना तूने कभी गौर से देखा ही नहीं"
मुंबई शहर की मिट्टी की है तासीर अजबजो 'रक़ीब' आता है वो लौट के जाता ही नहीं मिक़नातीसी सी है ये मुंबई की खाक 'रक़ीब'
जो यहाँ आता है वो लौट के जाता ही नहीं
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