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हे मकड़ी / ज़्देन्येक वागनेर
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15:07, 25 अप्रैल 2011
अनुवाद सुधारना
हे मकड़ी, तुम केश में
क्यों घूमने जाती हो?
आशा है तुम रोज़
सुख
कन्या
का भाग्य खोला करती
को देती
हो।
अब यही कविता चेक भाषा में पढ़े :
Icebearsoft
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