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08:19, 26 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कृष्ण कुमार यादव
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<poem>
एयर कंडीशनर कमरों में बैठ
रचते हैं वे देश का भविष्य
लाल-नीली बत्तियों और
हूटरों के साथ चिंघाड़ती
मँहगी गाडि़याँ
कराती हैं उनकी
विशिष्टता का एहसास।
आम जनता के दुख-दर्द से दूर
जीने हैं वे एक रूटीनी लाइफ
लम्बी-लम्बी टिप्पणियों
और लच्छेदार बातों के बीच
फ़र्ज अदा करते हैं
अपने अधिकारी होने का।
करते हैं फैसले वे
उनकी तकदीरों का
जिनसे कभी वे
रूबरू ही न हुए।
</poem>