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ग़ज़ल-6 / मुकेश मानस

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तेरे चेहरे पे क्यों उदासी है
नमी आंखों में क्यों ज़रा सी है

हँसाती भी है, रूलाती भी है
ज़िन्दगी इक अजब अदा सी है

जिसने तुझसे बाँध रखा है मुझे
कुछ रौशनी, कुछ हवा सी है

तू नादान है ना समझे मेरी बातें
मासूम छोटी बच्ची ज़रा सी है
2007

<poem>
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