Changes

{{KKPageNavigation
|पीछे=राम की कृपालुता / तुलसीदास / पृष्ठ 4
|आगे=कवितावलीराम की कृपालुता / तुलसीदास / पृष्ठ 376
|सारणी=राम की कृपालुता / तुलसीदास
}}
राम की कृपालुता -5   '''( छंद संख्या 9, / तुलसीदास/ 10)'''  (9)  नरनारि उधारि सभा महुँ होत दियो पटु , सोचु हर्यो मनको। प्रहलाद बिषाद-निवारन , बारन-तारन, मीत अकारनको।।  जो कहावत दीनदयाल सही, जेहि भारू सदा अपने पनको।। ‘तुलसी’ तजि आन भरोस मजें , भगवानु भलो करिहैं जनको।9।
(10)
'''( छंद संख्या 11रिषिनारि उधारि, 12)'''कियो सठ केवटु मीतु पुनीत, सुकीर्ति लही। निजलाकु दियो सबरी-खगको, कपि थाप्यो , सो मालुम है सबही। ।
(दससीस -बिरोध सभीत बिभीषनु भूपु कियो, जग लीक रही।।करूनानिधि को भजु , रे तुलसी! रघुनाथ अनाथ के नाथु सही।10।
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits