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'''रामगुणगान'''
( छंद 111 से 112 तक)
(111)
महाराज, बलि जाउँ, राम! सेवक-सुखदायक।
महाराज, बलि जाउँ, राम! सुन्दर सब लायक।
महाराज, बलि जाउँ, राम! सब संकट-मोचन।
महाराज, बलि जाउँ, राम! राजीवबिलोचन।
बलि जाउँ, राम! करूनायतन, प्रनतपाल, पातकहरन।।
बलि जाउँ , राम! कलि-भय-बिकल-तुलसिदासु राखिअ सरन।।
(112)
जय ताड़का -सुबाहु-मथन मारीच-मानहर!
मुनिमख -रच्छन-दच्छ, सिलातारन, करूनाकर!
नृपगन-बल-मद सहित संभु-कोदंड -बिहंडन।
जय कुठारधरदर्पदलन दिनकरकुलमंडन।
जय जनकनगर-आनंदप्रद, सुखसागर, सुषमाभवन।
कह तुलसिदासु सुरमुकुटमनि, जय जय जय जानकिरमन।।
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