बिकल बिलोकियत , नगरी बिहालकी।।
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गौरी नाथ, भोरानाथ, भवत भवानीनाथ!लोक-बेदहूँ बिदित बारानसीकी बड़ाई बिस्वनाथनुर फिरी आन कलिकालकी। बासी नर नारि ईस-अंबिका-सरूप है।
संकर-से -नरकालबध कोतवाल, गिरिजा-सी नारीं कासीबासीदंडकारि दंडपानि, बेद कही, सही ससिसेखर कृपालकी।। सभसद गनप-से अमित अनूप हैं।।
छगुख-गनेस तें महसेके पियरे लोगतहाँऊ कुचालि कलिकालकी कुरीति ,बिकल बिलोकियत कैंधौं जानत न मूढ़ इहाँ भूतनाथ भूप हैं। फलैं फूलैं फैलैं खल, सीदैं साधु पल-पल खाती दीपमालिका , नगरी बिहालकी।।ठठाइयत सूप हैं।।
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