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काशी में महामारी / तुलसीदास/ पृष्ठ 1
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16:15, 9 मई 2011
( छंद 169, 170)
(169)
गौरी नाथ, भोरानाथ, भवत भवानीनाथ!
बिकल बिलोकियत , नगरी बिहालकी।।
(170)
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Dr. ashok shukla
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