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छाया मत छूना / गिरिजाकुमार माथुर
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12:19, 12 मई 2011
मन, होगा दुख दूना।
दुविधा-हत साहस है, दिखता है
पंख
पंथ
नहीं
,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।
डा० जगदीश व्योम
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