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छाया मत छूना / गिरिजाकुमार माथुर
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12:21, 12 मई 2011
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण
-
छाया मत छूना
छाया मत छूना
मन
,
होगा दुख
दूना।
दूना मन
यश है या न वैभव है, मान है या न सरमाया;
डा० जगदीश व्योम
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