गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कुटी चली परदेस कमाने / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
No change in size
,
08:57, 13 मई 2011
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
'''
कुटि
कुटी
चली परदेस कमाने'''
कुटि
कुटी
चली परदेस कमाने
घर के बैल बिकाने ।
चमक-दमक में भूल गई है,
Dr. ashok shukla
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits