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न जाने क्या होगा / जगदीश व्योम
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07:29, 14 मई 2011
कंपित सागर डरी दिशाएं
भटकी भटकी सी प्रतिभाएं
चली
ओढ़़
ओढ़
कर अंधकार की
अजब ओेढ़नी धूप,
न जाने क्या होगा
डा० जगदीश व्योम
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