|संग्रह=गोल-गोल घूमती एक नाव / किरण अग्रवाल
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[[Category:कविता]]{{KKCatKavita}}<poem>
उसकी आँखों में एक रोटी थी
गोल-मटोल
भाप उगलती हुई
स्टीम इंजन की तरह
जो पिछली शताब्दी ने दी थी उसे एक सुबह
फिर शताब्दी का राम-नाम सत्य हो गया
ठीक उसकी माँ की तरह
अब वह है और नई शताब्दी
नई शताब्दी की आँखों में नए सपने हैं
ग्लोबलाइजेशन के
नई शताब्दी की आँखों में हैं बिल क्लिंटन और बिल गेट्स
लैपटॉप और मोबाइल्स और इन्टरनेट
और उसकी आँखों में उसकी मरी हुई माँ है
और एक गोल-मटोल रोटी
भाप उगलती हुई
जो पिछली शताब्दी में उसने खाई थी माँ के हाथों से
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