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ख़ुदकशी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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19:43, 24 मई 2011
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|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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उस आख़िरी लम्हे का मुंतज़िर हूँ मैं
कहते हैं – ‘इतिहास ख़ुद को दोहराता है’।
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Tripurari Kumar Sharma
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