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सुख की ये चिंदियां / योगेंद्र कृष्णा
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11:43, 28 मई 2011
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<poem>
कहीं भी बना लेती हैं अपनी जगह
वे कहीं भी ढूंढ़ लेती हैं हमें...
योगेंद्र कृष्णा
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