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शिकवा / इक़बाल
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,
18:10, 8 जून 2011
और बेचारों मुसलमानों को फ़कत वाबा-ए-हुज़ूर ।
अब वो
अल्ताफ़ref
अल्ताफ़<ref
>दया </ref> नहीं, हम पे इनायात<ref> मेहरबानी </ref> नहीं
बात ये क्या है कि पहली सी मुदारात नहीं ?
Amitprabhakar
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