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18:59, 10 जून 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}
::चाक चले चाक!
::चाक चले चाक!
::अंबर दो फाँक-
आधे में हंस उड़े, आधे में काक!
::चाक चले चाक!
::चाक चले चाक!
::धरती दो फाँक-
आधी में नीम फले, आधी में दाख!
::चाक चले चाक!
::चाक चले चाक!
::दुनिया दो फाँक-
आधी में चाँदी है, आधी में राख!
::चाक चले चाक!
::चाक चले चाक!
::जीवन दो फाँक-
आधे में रोदन है, आधे में राग!
::चाक चले चाक!
::चाक चले चाक!
::बाज़ी दो फाँक,
::ख़ूब सँभल आँक-
जुस है किस मुट्ठी, ताक?
::चाक चले चाक!
::चाक चले चाक!
::चाक चले चाक!...