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कहाँ पर हमको उम्मीदों ने लाके छोड़ दिया / गुलाब खंडेलवाल
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19:39, 15 जून 2011
अँधेरी रात में दीपक जलाके छोड़ दिया
उसी को
सँजते
सजते
रहे हैं हम अपनी ग़ज़लों में
था जिसने साथ बहाना बना के छोड़ दिया
Vibhajhalani
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