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दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
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18:47, 16 जून 2011
दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम
पत्थर के दिल में प्यास
लगाने
जगाने
चले हैं हम
हमको पता है खूब, नहीं आँसुओं का मोल
Vibhajhalani
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