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अब क्यों उदास आपकी सूरत भी हुई है / गुलाब खंडेलवाल
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19:38, 24 जून 2011
मैं जिन्दगी को रख दूँ छिपाकर कि मेरे बाद
सुनता हूँ,
उनको
उन्हें
इसकी ज़रूरत भी हुई है
दुनिया की भीड़भाड़ में कुछ मैं ही गुम नहीं
Vibhajhalani
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