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चले भी आइये क्यारी में सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
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19:57, 24 जून 2011
खड़े हुए थे अँधेरे तो दोनों ओर मगर
किरण
किरन
-
कीं
किरन
की सवारी में सौ गुलाब खिले
जहां था प्यार नज़रबंद आँसुओं से कभी
उसी चहारदीवारी में सौ गुलाब खिले
जतन से ओढ़ के चादर तो ज्यों-की-त्यों
रख
धर
दी
मगर कहीं थे किनारी में सौ गुलाब खिले
<poem>
Vibhajhalani
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