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हमें तो कहते हो, 'अपना ख़याल है कि नहीं?' / गुलाब खंडेलवाल
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21:16, 24 जून 2011
चुभे हैं तन में तो काँटे हज़ार-लाख, मगर
गुलाब लाल है अब तक,
क़माल
कमाल
है कि नहीं
<poem>
Vibhajhalani
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