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ट्राम में एक याद / ज्ञानेन्द्रपति
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|संग्रह=शब्द लिखने के लिए ही यह कागज़ बना है / ज्ञानेन्द्रपति
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चलती ट्राम में फिर आँखों के आगे झूली हो
तुम्हारी कद-काठी की एक
नन्ही-सी, नेक
<
सामने आ खड़ी है
तुम्हारी याद उमड़ी है
अनिल जनविजय
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