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02:28, 29 जून 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=द्विज
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{{KKPageNavigation
|पीछे=सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=कहूँ कोकिलाली, कहूँ कै पुकारैं / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 2
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<poem>
'''भुजंगप्रयात'''
''(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)''
रमैं पच्छिनी सौं सबै पच्छ जोरैं । बिहंगावली आपनौं भाव भोरैं ॥
जयंती-जपा जाति के बृच्छ नाना । धरैं हैं चहूँ कोद सौं मोद-बाना ॥१८॥
</poem>