गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अब क्यों भला किसीको हमारी तलाश हो! / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
18:57, 1 जुलाई 2011
कोयल की हर तड़प में अगर यह मिठास हो!
वादों को उनके
खूब
ख़ूब
समझते हैं हम, मगर
क्या कीजिये जो दिल को तड़पने की प्यास हो!
Vibhajhalani
2,913
edits