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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
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सो गए जो उम्र भर हसरत लिये बरसात की!
आज भाती हो न उसको तेरी पंखडियाँपंखड़ियाँ, गुलाब!कल मचेगी धूम दुनिया भर में इस सौगात सौग़ात की
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