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दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
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04:35, 2 जुलाई 2011
पत्थर के दिल में प्यास जगाने चले हैं हम
हमको पता है
खूब
ख़ूब
, नहीं आँसुओं का मोल
पानी में फिर भी आग लगाने चले हैं हम
Vibhajhalani
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