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हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं / गुलाब खंडेलवाल
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13:48, 2 जुलाई 2011
हम आदमी को ही लेकिन बड़ा समझते हैं
चढा
चढ़ा
हुआ है सभी पर हमारे प्यार का रंग
कोई न इससे बड़ा कीमिया समझते हैं
Vibhajhalani
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