आना हो तो आओ पूरी तरह से
नहीं तो वहीं रहो मजे मज़े में
यह क्या बात हुई
कि दिन-दहाड़े सबके सामने तो कहो
जानबूझ कर दुःखी करने की बात है
कि भटकता रहूँ मैं सारी रात तुम्हारे साथ
स्मृतियां स्मृतियों और संभावनाओं के बियाबानों में
और सवेरा होते-होते अदृश्य हो जाओ तुम
बिना कुछ कहे -सुने
पापा को इस तरह नहीं सताते, बेटे