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ख़्वाब समझें कि वाक़या समझें / गुलाब खंडेलवाल
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23:08, 3 जुलाई 2011
हँस के बोले कि जो कहा, समझें
एक
ग़र्दिश
गर्दिश
से दूसरी
ग़र्दिश
गर्दिश
ज़िन्दगी, बस ये सिलसिला समझें
Vibhajhalani
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