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कुछ ऐसे साज़ को हमने बजाके छोड़ दिया / गुलाब खंडेलवाल
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00:01, 4 जुलाई 2011
<poem>
कुछ ऐसे
साज
साज़
को हमने बजाके छोड़ दिया
सुरों को और सुरीला बनाके छोड़ दिया
गुलाब, ऐसे ही खिलते है हम किसीने ज्यों
दिया जला के मुक़ाबिल हवा के छोड़ दिया
<poem>
Vibhajhalani
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