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याद मरने पे ही किया तुमने / गुलाब खंडेलवाल
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00:09, 4 जुलाई 2011
यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया
शौकिया
शौक़िया
तुमने
दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने
ज़िन्दगी की
क़िताब
किताब
ख़त्म हुई
मुड़ के देखा न हाशिया तुमने!
Vibhajhalani
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