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बैलगाड़ी / भारतेन्दु मिश्र
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02:56, 5 जुलाई 2011
देखते सुनते समझते
कह नहीं पाते मगर कुछ
सह रहे
है
हैं
एक दिग्भ्रम
भूख प्यास थकान सब कुछ
डा० जगदीश व्योम
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