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अस्वीकरण
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कुहासे / एम० के० मधु
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17:50, 6 जुलाई 2011
मैं निर्निमेष तकता हूं उस लकीर को
जो मेरी हथेली में कभी
दर्ज
दर्ज़
थी
फिर खो जाता हूं ऐसे
योगेंद्र कृष्णा
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