गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कभी सिर झुकाके चले गए, कभी मुँह फिराके चले गये / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
20:10, 6 जुलाई 2011
उसी बाँसुरी के सुरों पे हम, कोई धुन सजाके चले गये
वही पँखुरियाँ, वही बाँकपन, वही रंग-रूप की
शोखियाँ
शोख़ियाँ
वो गुलाब और ही था मगर, जिसे तुम खिलाके चले गये
Vibhajhalani
2,913
edits