गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये / गुलाब खंडेलवाल
1 byte removed
,
20:20, 6 जुलाई 2011
खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
मगर गुलाब है खिलता किसी-
किसी के
किसीके
लिये
न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये
Vibhajhalani
2,913
edits