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नज़र नज़र से ही टकराए और कुछ मत हो / गुलाब खंडेलवाल
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,
20:42, 6 जुलाई 2011
बुला लिया है उसे घर पे हमने आज, मगर
मना रहे हैं
,
नहीं आये, और कुछ मत हो
गुलाब देख तो लेंगे उन्हें आते-जाते
नज़र भले ही न मिल पाये, और कुछ मत हो
<poem>
Vibhajhalani
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