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चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए / गुलाब खंडेलवाल
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21:33, 6 जुलाई 2011
अपनी पँखुरियों को छितराकर, आज गुलाब ये कहता था,
'
खूब
ख़ूब
जिन्हें खिलना हो खिले अब, हम तो हवा पे सवार हुए'
<poem>
Vibhajhalani
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