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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
दर्द को हँसकर उडाना चाहिए
आँसुओं में मुस्कुराना चाहिए
गीत, गज़लें या रुबाई जो कहो
उनसे मिलने का बहाना चाहिए
बाग़ भर में उड़ रही ख़ुशबू तो क्या!
फूल को हाथों में आना चाहिए
चलते-चलते मिल ही जायेंगे कभी
ज़िन्दगी का ताना-बाना चाहिए
ठाठ पत्तों का हुआ झीना, गुलाब!
अब कहीं सर को छिपाना चाहिए
<poem>