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हमें तो कहते हो, 'अपना ख़याल है कि नहीं?' / गुलाब खंडेलवाल
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18:46, 8 जुलाई 2011
जो सोचिये तो उलझता है जाल, 'है कि नहीं'
हमारे प्यार का रोना है
,
कोई गीत नहीं
किसे है होश कि सुर और ताल है कि नहीं!
Vibhajhalani
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