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तितली के परों पर उड़ती हुई शबनम की निशानी क्या कहिये!
आये तो यहाँ, इतना ही बहुत, अब आप खुशी ख़ुशी से रुख़सत हों
इस दिल को तड़पते रहने की आदत है पुरानी, क्या कहिये!
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