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धुन प्यार की जो समझे न उन्हें, यह दिल की कहानी क्या कहिये! / गुलाब खंडेलवाल
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19:12, 8 जुलाई 2011
तितली के परों पर उड़ती हुई शबनम की निशानी क्या कहिये!
आये तो यहाँ, इतना ही बहुत, अब आप
खुशी
ख़ुशी
से रुख़सत हों
इस दिल को तड़पते रहने की आदत है पुरानी, क्या कहिये!
Vibhajhalani
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