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मिलके नहीं बिछुडेंगे जहाँ हम, ऐसा भी कोई देश तो होगा / गुलाब खंडेलवाल
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19:34, 8 जुलाई 2011
रंग गुलाब का उड़ने लगा है, लौट रही हैं शोख़ हवायें
जिसमें हमें पहचान ले दुनिया, ऐसा भी कोई
भेस
वेश
तो होगा?
<poem>
Vibhajhalani
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