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मुँह खोलके हमसे जो मिलते न बना होता / गुलाब खंडेलवाल
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19:36, 8 जुलाई 2011
जो पूछ भी लेते तुम उड़ती हुई नज़रों से
क्यों
रूठ के
रूठके
यों कोई दुनिया से गया होता
इन शोख़ अदाओं का सब खेल
हमीं से
हमींसे
है
होते न अगर हम तो क्या इनका हुआ होता!
Vibhajhalani
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